Zindagi Zindagi
- 319 Posts
- 2418 Comments
उड़ती गगन में
मेरी सतरंगी कल्पनायें
झूलती इंद्रधनुष पे
बहती शीतल पवन सी
ठिठकती कभी पेड़ों के झुरमुट पे
थिरकती कभी अंगना में मेरे
सूरज की रश्मियों से
महकाती गुलाब गुलशन में मेरे
तितलियों सी झूमती
फूलों की डाल पे
दूर उड़ जाती फिर
लहराती सागर पे
चूमती श्रृंखलाएँ पर्वतों की
बादल सी गरजती कभी
चमकती दामिनी सी
बरसती बरखा सी कभी
बिखर जाती कभी धरा पे
शीतल चाँदनी सी
नित नये सपने संजोती
रस बरसाती जीवन में मेरे
मेरी सतरंगी कल्पनायें
.
रेखा जोशी
Read Comments