Menu
blogid : 9626 postid : 911226

गर समझते हो खुद को मुर्गा

Zindagi Zindagi
Zindagi Zindagi
  • 319 Posts
  • 2418 Comments

छोड़ इक
अपनी घरवाली
लगती प्यारी
न जाने क्यों बाहरवाली
भाभी जी पड़ोस की
या फिर
घरवाली की सहेली
दिखती सदा खिली खिली सी
न करती कोई शिकवा
और न ही करती कोई शिकायत
न वह लड़ती
और न ही झगड़ती
है ऐसा ही होता
लगते सदा
ढोल सुहावने दूर के
लेकिन पड़े मुसीबत
अगर कोई
अति काम सदा घरवाली
मत समझो मेरे भाइयों
अपनी पत्नी को किसी से कम
करो सदा उसका सम्मान
गर समझते हो खुद को मुर्गा
होती नही फिर
घर की मुर्गी दाल बराबर
रेखा जोशी

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply