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कुरुक्षेत्र में जीवन के बन अर्जुन मै अब आया
है आकुल मन विकल ह्रदय शरण भगवन मै अब आया
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भ्रष्टाचार की है तौबा बढ़े है पेट लालों के
भाई बँधु है सब अपने डूबे जो घोटालों में
खाते छीन है चारा मुख से अपने भाइयों के
चढ़ा प्रतंचया फिर से ले गाँडीव मै अब आया
है आकुल मन विकल ह्रदय शरण भगवन मै अब आया
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पूछो न पाखंडों की ,भरे आश्रम है बाबों से
दिखा कर चमत्कार झूठे लूटे वो मासूमों को
करें खिलवाड़ उम्मीदों का ,आहत कर गरीबों को
चढ़ा प्रतंचया फिर से ले गाँडीव मै अब आया
है आकुल मन विकल ह्रदय शरण भगवन मै अब आया
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लाज अपनी बचाने को पुकारे आज पांचाली
भरे बाज़ार लुटती है यहाँ पर आज है नारी
करो इन्साफ हे भगवन शरण अब आई दुखियारी
चढ़ा प्रतंचया फिर से ले गाँडीव मै अब आया
है आकुल मन विकल ह्रदय शरण भगवन मै अब आया
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कुरुक्षेत्र में जीवन के बन अर्जुन मै अब आया
है आकुल मन विकल ह्रदय शरण भगवन मै अब आया
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रेखा जोशी
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