Zindagi Zindagi
- 319 Posts
- 2418 Comments
झाँक रहा सूरज
फिर
बादलों की ओट से
और
धूप फिसलती रही
यहाँ वहाँ
आकर पास मेरे
न जाने क्यों
फिर
छिटक जाती
इधर उधर
..
ख़्वाब मेरे
तैरते रहे आँखों में
कल्पनाओं में मेरी
उड़ती रही तितलियाँ
भागती रही धूप के पीछे
खुलते ही आँखे
न जाने क्यों
बिखर गये ख्वाब
सब
इधर उधर
..
ढूँढ रही भीड़ में
चाहते अपनी
खो गई न जाने कहाँ
भटकती आँखे
देख रही
इधर उधर
..
रेखा जोशी
Read Comments