Zindagi Zindagi
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तुम और मै
दोनों
फूल एक उपवन के
सींचा और सँवारा
माली ने
एक समान हमे
आज
भरा जीवन हम में
आज
महकता उपवन हम से
कल क्या होगा
मालूम नही
होंगे कहीं सज रहे
किसी के सुंदर केश में
याँ
बन गुलदस्ता
महकता होगा किसी का घर
याँ
प्रभु के चरणो से लिपट
होगा जीवन सफल
याँ
रौंद दिये जायें गे
पांव तले किसी के
लेकिन
छोडो यह सब
आज
भरा जीवन हम में
आज
महकता उपवन हम से
रेखा जोशी
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