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बाबुल की दुआएँ लेती जा -लघु कथा

Zindagi Zindagi
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जैसे ही बैंड बाजेवालों ने ”बाबुल की दुआएँ लेती जा ”की धुन बजानी शुरू की ,फूलों से सजी कार में दुल्हन बनी रोशनी की आँखे भीग गई ,अपनी जान से भी प्यारी बेटी को डोली में बिठा कर , बाहर खड़े उसके पापा भी ज़ार ज़ार रो रहे थे ,अपने पापा को रोते देख रोशनी अपने को संभाल नही पाई और वह भी ज़ोर से रोने लगी ,तभी अपने ससुर जी की आवाज़ सुन कर वह चौंक गई ,कार के शीशे से झांक कर देख तो उसके ससुर जी उसके पापा को गले लगा कर कह रहे थे ,”चौधरी जी ,आज तक आपकी बेटी रोशनी से केवल आपका घर जगमगा रहा था लेकिन आज से इस घर के साथ साथ हमारा घर भी जगमगाने लगेगा ,”कार में रोशनी के साथ बैठे दुल्हा बने सौरभ ने अपने रुमाल से रोशनी की आँखों के आँसू पोंछते हुए उससे कहा ,”मेरे पिता जी ठीक ही तो कह रहे है ,तुम्हारे आने से मेरा घर जगमगा उठेगा और मै तुम्हारे मम्मी पापा के घर को हमेशा महकाता रहूँगा यह मेरा वादा है तुमसे ,अब प्लीज़ आँसू पोंछ कर इक प्यारी सी मुस्कान दे दो न ,”| वातावरण को गमगीन बनाते हुए और वही धुन बजाते हुए बैंड बाजे वालों के पीछे पीछे धीमी गति से रोशनी की डोली उसका मायका छोड़ ससुराल की ओर उसे ले कर चल पड़ी ,रोशनी ने पीछे मुड़ कर देखा तो दूर होता हुआ उसे अपने पापा का उठा हुआ हाथ दिखाई दे रहा था |

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