Zindagi Zindagi
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उठने
लगी आज
फिर
इक हलचल सी
सीने में मेरे
कसमसाने लगी
उफनती
भावनाएँ
बाँध रखा
मैने जिन्हे
अब तक
नही रोक
पाई मै
आज उन्हें
तोड़ कर
सब बंधन
उमड़ घुमड़ कर
बादल सी
बरसने लगी
फिर
नैनो से
यह बाँवरी
अविरल
अश्रुधारा
रेखा जोशी
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