Zindagi Zindagi
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बैठ कर
सागर किनारे
देख रही
उफनता
यौवन
लहरों का
मदमस्त
उछलना
ऊपर नीचे
वह
लहराना
लहरों का
शोर मचाती
बढ़ रही
बेताबी से
मेरी ओर
और
भिगो कर
मेरा
तन बदन
फिर लौट
जाना
लहरों का
बस गया
दिल में मेरे
वह मधुर
संगीत
लहरों का
रेखा जोशी
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