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इत्तेफ़ाक से [कविता ] Contest

Zindagi Zindagi
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वो लम्हा
याद है तुम्हे
इत्तेफ़ाक से
हम तुम
मिले थे
जब
लब थे
खामोश
और
निगाहों
से हुई थी
बाते
तब से
अब तक
थम गया है
वक्त वहीँ
मै और तुम
बंध गए
इक
प्यारे से
रिश्ते में
सोचती हूँ
इत्तेफ़ाक़न
मिलना हमारा
मात्र इत्तेफ़ाक़ था
याँ फिर
मिलना
हमारा तुम्हारा
चल रहा था
यूँही
जन्म जन्म
से

रेखा जोशी

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