Menu
blogid : 9626 postid : 697141

पूर्ण हो कामनाएँ-कविता -Contest

Zindagi Zindagi
Zindagi Zindagi
  • 319 Posts
  • 2418 Comments

बहुत बड़ा
वृक्ष हूँ मै
खड़ा हूँ
सदियों से
यहाँ
बन द्रष्टा
देख रहा हूँ
हर आते जाते
मुसाफिर को
करते है विश्राम
कुछ पल यहाँ
और फिर
चल पड़तें है
अपनी मंज़िल
की ओर
अक्सर यहाँ
आते है
प्रेमी जोड़े
पलों में गुज़र
जाते है घण्टे
संग उनके
हाथों में लिए
पूजा की थाली
कुमकुम लगा
माथे पर मेरे
मंगल कामना
करती है अपने
सुहाग की
और मै
बन द्रष्टा
मूक खड़ा
मन ही मन
प्रार्थना
करता हूँ
परमपिता से
पूर्ण हो
कामनाएँ
उनकी

रेखा जोशी

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply