Zindagi Zindagi
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व्यथित
मन
देख बुढ़ापा
चेहरे की
झुरियों
में छिपा
संघर्ष
जीवन का
सफर कितना
था सुहाना
बचपन
जवानी का
कर देता
असहाय
कितना यह
बुढ़ापा
तड़पता
है मन
धुंधला जाती
आँखे
पल पल
क्षीण होती
काया
मौत से पहले
कई बार
मरता है
मन
गुज़रते है
दिन
सिर्फ
इंतज़ार में
मौत की
रेखा जोशी
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