Zindagi Zindagi
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था इक हारा हुआ इंसान
चकनाचूर हुए थे सपने
न मिल रही थी मंजिल
गम में डूबा था गमगीन
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जागी उम्मीद की किरण
दिवाकर से मिली नजर
इन्द्रधनुष रंगों से स्वप्न
पाना उन्हें है बन सूरज
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भर उठा जोश से फिर वह
जीवन में भरने को वो रंग
प्रकाशित कर दुनिया यह
चमकना सूरज सा है बन
रेखा जोशी
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