Zindagi Zindagi
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सपने
देखे थे जो कभी
तेरी मेरी आँखों ने
हो रहे पूरे आज
इक घरौंदा बना कर
प्रेम से उसे
सजाया मिल कर
कब कैसे हो गये
वह तेरे सपने
यह मेरे सपने
बँट गए वह
अपने अपने में
खुली अखियाँ
गुम हो गए कहीं
बंद आँखों से
देखे थे जो कभी
वह सुन्दर प्यारे
सपने
रेखा जोशी
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