Menu
blogid : 9626 postid : 624717

माया उसकी अपरम्पार [क्षणिका ]

Zindagi Zindagi
Zindagi Zindagi
  • 319 Posts
  • 2418 Comments

ओम की गूँज
भंग होती नीरवता
गुंजित हुआ ब्रह्मांड
आँखे मूंदे धरा पर
समाधिस्थ योगी
विलीन ओम में
विचर रहा दूर कहीं
एकरस उसमे
झांक रहा उस पार
आभामंडल
चहुँ ओर
दृष्टि अलौकिक
चुपचाप रहा देख
बन द्रष्टा
माया उसकी
अपरम्पार

रेखा जोशी

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply