Menu
blogid : 9626 postid : 373

विकृत मानसिकता Jagran Junction Forum

Zindagi Zindagi
Zindagi Zindagi
  • 319 Posts
  • 2418 Comments

सुमन आज बहुत दुखी थी ,उसकी जान से भी प्यारी सखी दीपा के घर पर आज मातम छाया हुआ था |कोई ऐसे कैसे कर सकता है ,इक नन्ही सी जान,एक अबोध बच्ची , जिसने अभी जिंदगी में कुछ देखा ही नही ,जिसे कुछ पता ही नही ,एक दरिंदा अपने वहशीपन से उसकी पूरी जिंदगी कैसे बर्बाद कर सकता है |दीपा की चार वर्षीय कोमल सी कली के साथ दुष्कर्म,यह सोच कर भी काँप उठी थी सुमन ,कैसा जंगली जानवर था वह दरिंदा ,जिसे उस छोटी सी बच्ची में अपनी बेटी दिखाई नही दी |सुमन का बस चलता तो उस जंगली भेड़िये को जान से मार देती ,गोली चला देती वह उस पर |आज वह नन्ही सी कली मुरझाई हुई अस्पताल में बेहोश अधमरी सी पड़ी है |बलात्कार जैसी बेहद घिनौनी और अमानवीय घटनाएं तो न मालूम कब से हमारे समाज में चली आ रही है लेकिन बदनामी के डर इस तरह की घटनाओं पर परिवार वाले ही पर्दा डालते रहते है |आज लोग नैतिकता को तो भुला ही चुकें है ,कई बार अख़बारों की सुर्ख़ियों में अक्सर बाप द्वारा अपनी ही बच्ची के साथ बलात्कार ,भाईओं दवारा अपनी ही बहनों का यौन शोषण ,पति अपनी अर्धांगिनी की दलाली खाने के समाचार छपते रहते है और उनके कुकर्म का पर्दाफाश न हो सके ,इसके लिए बेचारी नारी को यातनाये दे कर,ब्लैकमेल कर के उसे अक्सर दवाब में जीने पर मजबूर कर देते है| हमारी संस्कृति ,जीवन शैली ,विचारधारा ,जिंदगी जीने के आयाम सब में बड़ी तेज़ी से परिवर्तन हो रहा है ,आज इस बदलते परिवेश में जहां भारत पूरी दुनिया के साथ हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है ,वहां सिमटती हुई दुनिया में आधुनिकता की आड़ लिए कई भारतीय महिलाओं ने भी पाश्चात्य सभ्यता का अंधाधुन्द अनुसरण कर छोटे छोटे कपडे पहनने , स्वछंदता , रात के समय घर से बाहर निकलना, अन्य पुरुषों के संपर्क में आना ,तरह तरह के व्यसन पालना ,सब अपनी जीवन शैली में शामिल कर लिया है और जो उनके अनुसार कथित आधुनिकता के नाम पर गलत नही है परन्तु यह कैसी आधुनिकता जिसने तो हमारे संस्कारों की धज्जिया ही उड़ा दी है ,एक तो वैसे ही समय के अभाव के कारण और हर रोज़ की आपाधापी में जी रहे माँ बाप अपने बच्चों को अच्छे संस्कार नही दे पा रहे उपर से टी वी ,मैगजींस ,अखबार के विज्ञापनों में भी नारी के जिस्म की अच्छी खासी नुमाईश की जा रही है ,जो विकृत मानसिकता वाले लोगों के दिलोदिमाग में विकार पैदा करने में कोई कसर नही छोडती ,”एक तो करेला दूसरा नीम चढ़ा” वाली बात हो गई | ऐसी विक्षिप्त घटिया मानसिकता वाले पुरुष अपनी दरिंदगी का निशाना उन सीधीसादी कन्याओं पर यां भोली भाली निर्दोष बच्चियों को इसलिए बनाते है ताकि वह अबोध बालिकाएं उनके दुवारा किये गए कुकर्म का भांडा न फोड़ सकें और वह जंगली भेड़िये आराम से खुले आम समाज घूमते रहें और मौका पाते ही किसी भी अबोध बालिका अथवा कन्या को दबोच लें | सुमन की सहेली दीपा ने पुलिस स्टेशन में जा कर ” एफ आई आर” भी दर्ज़ करवा दी ,पर क्या पुलिस उस अपराधी को पकड़ पाए गी ?क्या कानून उसे सजा दे पाए गा ?कब तक न्याय मिल पाये गा उस कुम्हलाई हुई कली को ?ऐसे अनेक प्रश्न सुमन के मन में रह रह कर उठ रहे थे |इन सब से उपर सुमन उस नन्ही सी बच्ची को लेकर परेशान थी ,अगर जिंदगी और मौत में झूल रही वह अबोध बच्ची बच भी गई तो क्या वह अपनी बाक़ी जिंदगी समान्य ढंग से जी पाए गी ?

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply